तेरे कंधों बैठ के, देख लिया जग सकल। तुझमें ढूंढ़ता खुद को, मुझमें तेरी नकल।। तेरे कंधों बैठ के, देख लिया जग सकल। तुझमें ढूंढ़ता खुद को, मुझमें तेरी नकल।।
शामिल न करो ऐसा कुछ भोजन में, कि विकार उत्तपन्न हो जाएं तन में। शब्दों के ऐसे तीर शामिल न करो ऐसा कुछ भोजन में, कि विकार उत्तपन्न हो जाएं तन में। शब्दों...
ये जीवन तो आसान नहीं बहुत ठोकरें हैं राहों में, बात कुछ ऐसी है कि गिर पड़े तो, संभ ये जीवन तो आसान नहीं बहुत ठोकरें हैं राहों में, बात कुछ ऐसी है कि गिर प...
वसंतागमन से धरती सजी है, कृषकों के मन में उमंग भी जगी है। पीताभ से फिर अवनि खिल वसंतागमन से धरती सजी है, कृषकों के मन में उमंग भी जगी है। पीताभ से फ...
प्रेम भाव और भाईचारे के रंग घुले हों सीने में, फूल हों खुशियों के हर ओर और मज़ा हो प्रेम भाव और भाईचारे के रंग घुले हों सीने में, फूल हों खुशियों के हर ओ...
तुम्हारे लिए क्या कहे शब्द कम पड़ जाते हैं। तुम्हारे लिए क्या कहे शब्द कम पड़ जाते हैं।